जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
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मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - Shiv chaisa प्रेरक कहानी
हनुमान चालीसा लिरिक्स
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥